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Friday, October 4, 2013

न्याय आज अन्याय से भी बेकार हुआ ,ये हमारे देश की विचित्र लाचारी है ,
रक्त से विषाक्त हाथ जनता का  सेवक हैं ,लेकिन ये जनता सदा से बेचारी है ,
बीस बार सहके एकाध में विरोधभाव ,ऐसी निश्छल  देखो जनता हमारी है ,
एक घर छोड़ बढे दुसरे घरन मा जब ,भ्रष्टाचार की तो सगल बीमारी है ,
झूठ,दंभ ,झगड़ा -फसाद की राह में तो नयी पीढी का बहुमूल्य योगदान है ,
फैशन में खुद की शरीर का पता ही नहीं कहाँ पे है आँख और कहँवा प् कान है ,
पढने की नाही देखो मदिरा की होड़ लगी ,माँ -बाप साथ बिटिया भी खिखियात है ,
बिटिया के दोस्त बने मम्मी के दोस्त आज ,दारु पीके खुद को बतावत सम्भ्रान्त्र  है ,
पिता संग पुत्र ,और पुत्री संग मातु तथा चीयर की होड़ खानदान में चलत है ,
गलती से कभी अगर आप बतलाएं उन्हें ,उत्तर मिलेगा प्रभु आप ही गलत हैं ,
मांस को खायेंगे साग जैसा नोच -नोच ,ऐसे में मंगल और शनि कैसे आता है ,
खाने को आप खा लें पूरा इंसान ही ,हम कहेंगे इसमें भगवान् का क्या जाता है ,
मानिए तो पुत्र ,पुत्री,भाई ,मित्र ,गोत्र ,नात ,अन्यथा तो पृथ्वी पे सारे ही पराये हैं ,
कुछ के लिए है यहाँ वेद और पुराण ग्रन्थ ,बहुतों ने खुद के धर्मपंथ बतलाये हैं ,
छुवाछूत  हरिजन की गर कभी अशुद्ध करे ,एक बार दुनिया में आँखे घुमाइये ,
ट्रेन ,बस ,मेला इन सबमे बचा के खुद को ,धन्य हो के तीन बार तीरथ नहाइये ,
गाड़ियों में बैठे -बैठे खुद के सामान लेना ,इस नये जमाने का नया सा प्रचलन  है ,
भाइयों मैं कहता वो केवल विक्रेता है ,नहीं है वो नौकर कहाँ का ये चलन है ,
स्वावलंबन की भाषा सीखनी तो सीख लीजै ,अपने कार्यों को स्वयं ही निपटाइये ,
और कभी जब अपने से मुक्ति मिले तो दुनिया में भी सामर्थ्य दिखलाइये ,
बद्दुआ और आह का न कार्य करें आप कभी ,मेरा सभी से विनम्र अनुरोध है ,
अपने लिए जो अनुचित लगे आपको,ऐसे कार्यों को कहिये आपका विरोध है ,
चाहे सुने मंत्रणा ,या चाहे दुनिया का सार ,सकारात्मक हमेशा मन को बनाइये ,
घृणित हो साम्राज्य या की घृणित निर्जीव कोई  ,उसमे भी सद्बुद्धि भाव अपनाइए ,
प्राणिमात्र,नारी ,और अंतिम कतार में जो ,उनको अब आगे की राह दिखलानी है ,
आज ही शपथ लीजै इनमे से किसी की भी करुणा कभी भी नहीं आपको दबानी है ,
'धीरज ' की प्रार्थना है ह्रदय से सुनो सुहृद,जहाँ भी रहो वहां रौशनी का डेरा हो ,
सूर्य जैसे आप सदा सबका संताप हरो ,दुनिया में चाहे कहीं कितना अँधेरा हो ,

आप सबकी प्रतिक्रिया एवं सुझाव का आकांक्षी -

        प्रणेता -
डॉ..धीरेन्द्र नाथ मिश्र 'धीरज '
'स्वतन्त्र पत्रकार '






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