हमारे देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है की इतने बड़े घोटाले में सिर्फ ५ साल की सजा और मात्र २५ लाख का जुर्माना , करोड़ों करोड़ के मामले में केवल इतनी छोटी सजा और इतना हास्यास्पद जुर्माना ,आपको नहीं लगता की ये जनता का मजाक है ? अगर ऐसे ही होता रहा तो अपराधियों के हौसले उत्तरोत्तर बुलंद हो जायेंगे ,घोटाले की धनराशि पर गौर करें तो इतने वर्षों में इससे कहीं अधिक ब्याज बनता है। हम मुखौटे में खुश भले हो लें लेकिन ये ख़ुशी स्थायी नहीं होगी ,कहना न होगा की जल्द ही इससे प्रेरणा लेकर नए घोटालेबाज सामने आयेंगे ,और हमारी न्यायव्यवस्था कक्षपगति से जब अपना कार्य पूरा करेगी भी तो ऐसे की जैसे माननीयों ने कोई अपराध नहीं वरन गलती कर दी है,आपकी क्या राय है ??
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