है युवा वर्ग का शंखनाद आओ मिलकर कुछ ख़ास लिखें ,
ग़ज़ल गीत अब बहुत हुआ लिखना है तो इतिहास लिखें ,
अरि सीने तक आता है चढ़ और गला काट ले जाता है ,
इन नपुंसकों को घर में घुसकर मार गिराना ही होगा ,
सहनशक्ति अब बहुत हो गयी सबक सिखाना ही होगा ,
बिकते न केवल जीव जंतु इन्सानों को बिकते देखा ,
सड़कों पे अस्मत बची रही पर थानों में लुटते देखा ,
था कहाँ कब ये दुष्कर्म हुआ सब सीधे -सीधे बतलाओ ,
आरोप लगाती क्यूँ सज्जन पर सीधे अपने घर जाओ ,
सोते भारत में 'लक्ष्मी '(लक्ष्मीबाई )को फिर शस्त्र उठाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
सरकारी अफ़सर दफ्तर में कम ,मैख़ाने में मिलते हैं ,
रिश्वत से सुबह शुरू होती ,रिश्वत में सूरज ढलते हैं ,
ईमान बचा कुछ में ही बस ,बेईमान की संख्या भारी है ,
बेईमानों की बातें सुनना ,अच्छों की अब लाचारी है ,
अपनी संघर्ष समस्या को खुद ही सुलझाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
महती भयपूर्ण बनी जाती ये हाल है बेसिक शिक्षा का ,
सप्ताह ,माह में जाना है स्कूल है अपनी इच्छा का।,
गुरु खुद ही शर्म समझता है नित शिक्षा ,पाठ पढ़ाने में ,
वो बहुत व्यस्त है जनगणना औ भवन नया बनवाने में ,
जो जहर बाँट कर खिलवाया अब इन्हें खिलाना ही होगा ,(मिड डे मील )
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
मीडिया हमारा नहीं वरन नेताओं की चौपाल बना ,
बस एक शब्द नेता जी का उसका ही तो भौकाल बना ,
जन साधारण की चिंता में क्या कभी किसी का ध्यान गया ,
इन चौपालों की दुनिया में ही सबका सारा ज्ञान गया ,
जन बीच पहुँचकर लेखन का कर्त्तव्य निभाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
सहने की भी सीमा होती ,ये भी पापों में आता है ,
करने से ज्यादा सहने को अधर्म शास्त्र बतलाता है ,
समझौता अब नहीं चलेगा अब प्रतिकार जरूरी है ,
स्त्री से भी कमतर क्यूँ हो ,अब ये कैसी मजबूरी है ,
चेनम्मा ,दुर्गावती शौर्य का पाठ पढ़ाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
सरकारी अफ़सर दफ्तर में कम ,मैख़ाने में मिलते हैं ,
रिश्वत से सुबह शुरू होती ,रिश्वत में सूरज ढलते हैं ,
ईमान बचा कुछ में ही बस ,बेईमान की संख्या भारी है ,
बेईमानों की बातें सुनना ,अच्छों की अब लाचारी है ,
अपनी संघर्ष समस्या को खुद ही सुलझाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
महती भयपूर्ण बनी जाती ये हाल है बेसिक शिक्षा का ,
सप्ताह ,माह में जाना है स्कूल है अपनी इच्छा का।,
गुरु खुद ही शर्म समझता है नित शिक्षा ,पाठ पढ़ाने में ,
वो बहुत व्यस्त है जनगणना औ भवन नया बनवाने में ,
जो जहर बाँट कर खिलवाया अब इन्हें खिलाना ही होगा ,(मिड डे मील )
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
मीडिया हमारा नहीं वरन नेताओं की चौपाल बना ,
बस एक शब्द नेता जी का उसका ही तो भौकाल बना ,
जन साधारण की चिंता में क्या कभी किसी का ध्यान गया ,
इन चौपालों की दुनिया में ही सबका सारा ज्ञान गया ,
जन बीच पहुँचकर लेखन का कर्त्तव्य निभाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
सहने की भी सीमा होती ,ये भी पापों में आता है ,
करने से ज्यादा सहने को अधर्म शास्त्र बतलाता है ,
समझौता अब नहीं चलेगा अब प्रतिकार जरूरी है ,
स्त्री से भी कमतर क्यूँ हो ,अब ये कैसी मजबूरी है ,
चेनम्मा ,दुर्गावती शौर्य का पाठ पढ़ाना ही होगा ,
सहन शक्ति अब बहुत हो गयी……………………….
आपकी प्रतिक्रिया एवं सलाह का आकांक्षी -
डॉ. धीरेन्द्र नाथ मिश्र 'धीरज'
'स्वतन्त्र पत्रकार '
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