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Tuesday, October 15, 2013




दुष्ट, दुशासन,दुर्योधन ,दुष्कर्मी ,दुराचारी ,
द्रुपद दुलारी द्रौपती का करते थे अपमान सदा ,
उसी भाँति 'संप्रग'  शासन में हैं सारे भ्रष्टाचारी ,
शपथ ली है लूटेंगे पूरे भारत को मिलके सदा ,
खाद्य घोटाला नहीं है अंतिम होंगे अभी कई सारे ,
शीघ्र आप भी देखोगे की भूख आपके है द्वारे ,
नहीं आपदा में मरते जितने इस भूख ने मारे हैं,
पर ये नहीं विरोध करेंगे क्यूंकि ये सब बेचारे हैं ,
कहता है नित नयी कहानी भारत भ्रष्टाचार की ,
कोई कैसे बतलाये पीड़ा उस भूख के मार की ,
हर चौथा है रुग्णशिशु अब नयी मिली है परिभाषा ,
हमसे आगे तो है वो पाक -कैसे करे अब हम आशा ? ,

नयी -नयी परिभाषा में ,करते हैं भ्रमित ये नेतागण ,
कैसा विकास जो है अदृश्य ,कैसे उत्थान की है ये धुन ,
महंगाई से बोझिल जन ,अब पेट भरे या विरोध करे ?
अपने में ही है जूझ रहा ,वो कैसे कोई प्रतिरोध करे?
गर हिम्मत कर ले लड़ने की तो हममें ही एकत्व नहीं ,
बिना समूह सुनीति के खुद का भी कोई महत्त्व नहीं ,
परिवर्तन की है आश बहुत इसके प्रति भाव जरूरी है ,
दूजों से कल को लड़ लेंगे हममें सद्भाव जरुरी है ,
कोटि प्रयोगी ऍफ़बी (फेसबुक)के गर राष्ट्रहितों के चिन्तक हों ,
डंके की चोट पे कहता हूँ फिर हर अनीति का द्रुत अंत हो ,
आशा व प्रार्थना मेरी है नवभारत का निर्माण करें ,
विश्वगुरु सा चमक सके हम इतना इसे महान करें,

आपकी प्रतिक्रिया व सुझाव का आकांक्षी -
प्रणेता -
डॉ. धीरेन्द्र नाथ मिश्र 'धीरज ' 
'स्वतंत्र पत्रकार '






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