आज के दिन ही १९ सितम्बर १९९० को राजीव गोस्वामी ( देशबन्धु कॉलेज , दिल्ली विश्वविद्यालय ) ने मंडल कमीशन के आरक्षण प्रस्ताव का विरोध करते हुए आत्मदाह का प्रयास किया , कालान्तर में ये छात्रसंघ के अध्यक्ष बने और अन्ततोगत्वा स्वास्थ्य सम्बन्धी इन्ही समस्याओं के कारण २४ फ़रवरी २००४ को इनकी मृत्यु हो गयी। विनम्र और भावभीनी श्रद्धान्जलि राजीव गोस्वामी को !!!!!
स्थिति क्यूँ ऐसी ही बनी हुयी है की आजादी के लम्बे अरसे के बाद भी हम आरक्षण की वैशाखी को कमजोरी बनाए हुए हैं ?
क्या आरक्षण जातिगत होना चाहिए या फिर आर्थिक आधार पर या होना ही नहीं चाहिए ?????
मुझे तो काफी हद तक ये लगता है की आरक्षण भी एक सशक्त कारण है जातिगत भेदभाव का ,विभिन्न जातियों की बार -बार ये महसूस कराने का कि वो कौन सी जाति से हैं ??????
आजकल बहुतायत राजनीतिक दल इन्ही जातिगत तवों पर सेंक रहें हैं और उस जातिगत रोटी पर दंगे आदि का घी लगा कर चाव से खा भी रहे हैं ………………गौरतलब रहे की ये मात्र जातिगत भेदभाव ही नहीं पैदा कर रहे वरन इन्सानियत का भी आये दिन खून कर रहे हैं , और इन सबके पीछे जितने गुनाहगार ये सब हैं उतने ही हम आप भी क्यूंकि इन्हें जनता का भी मुखर या फिर मौन समर्थन प्राप्त होता है !
तो देते रहिये समर्थन करते रहिये भारत निर्माण !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
दुश्मनी का पेड़ गुलशन में लगा कर क्या करें ?
अपने ही घर में दीवारें उठाकर क्या करें ?
नींव में जिसके भरा जाए लहू इंसान का ,
ऐसे मन्दिर ,मस्जिदों को हम बनाकर क्या करें ?????????????
आप सबकी राय का आकांक्षी …………
डॉ. धीरेन्द्र नाथ मिश्र 'धीरज '
'स्वतन्त्र पत्रकार '
स्थिति क्यूँ ऐसी ही बनी हुयी है की आजादी के लम्बे अरसे के बाद भी हम आरक्षण की वैशाखी को कमजोरी बनाए हुए हैं ?
क्या आरक्षण जातिगत होना चाहिए या फिर आर्थिक आधार पर या होना ही नहीं चाहिए ?????
मुझे तो काफी हद तक ये लगता है की आरक्षण भी एक सशक्त कारण है जातिगत भेदभाव का ,विभिन्न जातियों की बार -बार ये महसूस कराने का कि वो कौन सी जाति से हैं ??????
आजकल बहुतायत राजनीतिक दल इन्ही जातिगत तवों पर सेंक रहें हैं और उस जातिगत रोटी पर दंगे आदि का घी लगा कर चाव से खा भी रहे हैं ………………गौरतलब रहे की ये मात्र जातिगत भेदभाव ही नहीं पैदा कर रहे वरन इन्सानियत का भी आये दिन खून कर रहे हैं , और इन सबके पीछे जितने गुनाहगार ये सब हैं उतने ही हम आप भी क्यूंकि इन्हें जनता का भी मुखर या फिर मौन समर्थन प्राप्त होता है !
तो देते रहिये समर्थन करते रहिये भारत निर्माण !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
दुश्मनी का पेड़ गुलशन में लगा कर क्या करें ?
अपने ही घर में दीवारें उठाकर क्या करें ?
नींव में जिसके भरा जाए लहू इंसान का ,
ऐसे मन्दिर ,मस्जिदों को हम बनाकर क्या करें ?????????????
आप सबकी राय का आकांक्षी …………
डॉ. धीरेन्द्र नाथ मिश्र 'धीरज '
'स्वतन्त्र पत्रकार '
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