भारत की बहुतायत जेलों में मानवाधिकार हनन की घटनाएँ सामान्य हैं, कैदियों को अमानुषिक तरीके से दण्डित करना ,प्रताड़ित करना क्या न्याय व्यवस्था का अपमान नहीं है ? पुरुष कैदियों को छोड़ भी दें तो आप जानकार दंग रह जायेंगे कि महिला कैदियों का न सिर्फ़ बलात्कार होता है बल्कि वे गर्भवती भी हो जाती हैं और उन्हें गर्भ भी गिराना पड़ता है।आपराधिक प्रवृत्ति वालों का ठीक है परन्तु फर्जी तरीके से फंसाये गए लोगों की भी संख्या कम नही है। और इस पर हमारे सामजिक संगठन ,न्यायालय ,सरकारें और मीडिया सब चुप्पी साधे रहते हैं। ऐसा क्यों ?
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