क्षणिक जीवन का जीवन्त उल्लेख कर आपने निःशब्द कर दिया ,एक- एक लाईन अनेकों अर्थ समेटे हुए है ,किस वाक्य की समीक्षा करूँ और किसे छोड़ूँ ? अनुकरणीय और बेहद उम्दा सन्देश देती काव्यसुधा ! सदैव प्रार्थना है कि ऐसे ही चरणचिन्तकानुगामी के मानसमण्डल को अपने काव्यसिञ्चन से सिञ्चित कर अपनी काव्यात्मकता वीथी -वीथी में प्रतानित करें।
शायद इसीलिये फ़कीर के विषय में कहते हैं कि ;
मन मारै तन बस करै साधै सकल शरीर ,
फ़िकरि फारि कफ़नी करै ताको नाम फ़क़ीर।
शायद इसीलिये फ़कीर के विषय में कहते हैं कि ;
मन मारै तन बस करै साधै सकल शरीर ,
फ़िकरि फारि कफ़नी करै ताको नाम फ़क़ीर।
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