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Saturday, August 17, 2013

विनम्र और अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि नेता जी सुभाषचन्द्र  बोस को !!

आपने हमें अपना खून देके आजादी दी लेकिन ये राष्ट्र आपकी शहादत तक के साक्ष्य सुरक्षित रख पाने में असमर्थ रहा है !!!
 हम शर्मिंदा हैं अपने इस कृत्य के लिए   ……………………। 

बड़े ही दुर्भाग्य और दंश का सूचक है आज का दिन क्यूंकि आज के दिन ही हमारी आजादी के महानायक  नेता जी सुभाषचन्द्र  बोस  का शहादत दिवस है ( दुर्भाग्य का सूचक इसलिए क्यूंकि उनकी शहादत के कारणों पर आज भी हमारे साक्ष्य मौन हैं  . सुभाषचन्द्र बोस भारतीय इतिहास के ऐसे युग पुरुष हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई को एक नया मोड़ दिया था. भारत को आजाद कराने में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की भूमिका काफी अहम थी. उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. सुभाषचंद्र बोस युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत हैं. उनके जीवन का संघर्षों भरा सफर और उनके द्वारा देश को स्वतंत्र कराने के प्रयासों को एक अमर-गाथा के रूप में जाना जाता है.

आज उनके शहादत दिवस  पर रंगून में दिए गए उनके ऐतिहासिक भाषण का स्मरण आवश्यक है. उन्होंने कहा था, “स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों! स्वतंत्रता बलिदान चाहती है. आप ने आजादी के लिए बहुत त्याग किए हैं, किंतु अपनी जान की आहुति अभी बाकी है. मैं आप सबसे एक चीज मांगता हूं और वह है खून. दुश्मन ने हमारा जो खून बहाया है, उसका बदला सिर्फ खून से ही चुकाया जा सकता है. इसलिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा. इस प्रतिज्ञा-पत्र पर साधारण स्याही से हस्ताक्षर नहीं करने हैं. वे आगे आएं जिनकी नसों में भारतीयता का सच्चा खून बहता हो. जिसे अपने प्राणों का मोह अपने देश की आजादी से ज्यादा न हो और जो आजादी के लिए सर्वस्व त्याग करने के लिए तैयार हो.”

Subhash chader boseनेताजी सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था. पिता शहर के मशहूर वकील थे. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए नेताजी ने आजाद हिन्द फौज का गठन किया. बोस द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा देश का राष्ट्रीय नारा बन गया.

आजाद हिन्द फौज (Azad Hind Fauj )
सुभाष चन्द्र ने सशस्त्र क्रान्ति द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 21 अक्टूबर, 1943 को ‘आजाद हिन्द सरकार’ की स्थापना की तथा ‘आजाद हिन्द फौज’ का गठन किया. इस संगठन के प्रतीक चिह्न एक झंडे पर दहाड़ते हुए बाघ का चित्र बना होता था.

आजाद हिंद फौज या इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना वर्ष 1942 में हुई थी. कदम-कदम बढाए जा, खुशी के गीत गाए जा – इस संगठन का वह गीत था, जिसे गुनगुना कर संगठन के सेनानी जोश और उत्साह से भर उठते थे.

आजाद हिंद फौज के कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई. इस फौज में न केवल अलग-अलग सम्प्रदाय के सेनानी शामिल थे, बल्कि इसमें महिलाओं का रेजिमेंट भी था.

मौत भी थी रहस्यमयी
कभी नकाब और चेहरा बदलकर अंग्रेजों को धूल चटाने वाले नेताजी की मौत भी बड़ी रहस्यमयी तरीके से हुई. द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान की हार के बाद नेताजी को नया रास्ता ढूंढ़ना जरूरी था. उन्होंने रूस से सहायता मांगने का निश्चय किया था. 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ जा रहे थे. इस सफर के दौरान वे लापता हो गए. इस दिन के बाद वे कभी किसी को दिखाई नहीं दिए. 23 अगस्त, 1945 को जापान की दोमेई खबर संस्था ने दुनिया को खबर दी कि 18 अगस्त के दिन नेताजी का हवाई जहाज ताइवान की भूमि पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उस दुर्घटना में बुरी तरह से घायल होकर नेताजी ने अस्पताल में अंतिम सांस ली. लेकिन आज भी उनकी मौत को लेकर कई शंकाए जताई जाती हैं.

हमारे वीर महापुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की एकता, अखण्डता को कायम रखा जिसके लिए आने वाली पीढ़ी उनके योगदान को हमेशा याद रखेगी. नेताजी की सूझबूझ और साहस का सानी इतिहास में कोई नहीं मिलता. उनमें साहस और बुद्धि दोनों का मेल था. एक बेहद बुद्धिमान दिमाग की वजह से ही वह इतने प्रभावशाली थे कि अंग्रेजों ने उन्हें देखते ही खत्म करने का निर्णय लिया था.

आप सबको भी ये कटु सत्य पता है की मूल रूप में हमारी आजादी के महानायक कौन थे ??
लेकिन हम किसके स्मरण में श्रद्धा अवनत होते हैं ??
देश के महामहीम / प्रधानमन्त्री /नेतागण  किसकी समाधि पे जाकर सर झुकाते हैं ??
आज नेता जी सुभाषचन्द्र बोस के नाम पर कितनी परियोजनाएं चल रही हैं ??
आप सबकी तो नहीं कह सकता लेकिन मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि  अगर ऐसे ही व्यवस्था चलती रही तो जल्द  ही हमें भी नेता जी के नक़्शे कदम पे चलने को मजबूर होना पड़ेगा , अगर ऐसे ही सीमा पर पाकिस्तान ,चीन हमारे वीर सैनिकों का सर काटते  रहे,  उन पर गोलियां  चलाते रहे तो फिर से आजाद हिन्द फ़ौज की जरुरत आन पड़ेगी। (क्यूंकि ये निकम्मी सरकारें ऐसे ही हमारी सेना का हाथ और मनोबल दोनों ही बाँध के रखेंगी ) …… और मुझे ऐसा प्रतीत होता है की इसकी आवश्यकता दिन - प्रतिदिन बलवती होती जा रही है ????
आप सबकी राय और सलाह का आकांक्षी हूँ !!!!

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