आपके कृतित्व का ऐसे ही साक्षी बनता रहूँ ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि जन्म जन्मान्तर तक ये सौभाग्य मुझे प्रदान करता रहे ! आपको पढ़ना और आपके भावाभास,भावप्रबलत्व,भावमधुरत्व की रसानुभूति करना काव्य के चरमप्राप्य विगलितवेद्यान्तरास्वाद तक पहुंचा दे इसमें रन्च मात्र भी सन्देह नहीं। एक नहीं सौ -सौ भाग्यों के उदय का सूचक होगा कि आपके कव्यास्वादन से सुधी पाठकों को काव्यानन्द की प्राप्ति हो ;ऐसी मेरी आकांक्षा भी है और शुभकामना भी। पुनः -पुनः आपके सानिध्य हेतु ईश्वर का और इस 'मुखपुस्तक' दुनिया का आभारी हूँ। सादर प्रणाम ! नमन !!
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