आपके कृतित्व का ऐसे ही साक्षी बनता रहूँ ईश्वर से प्रार्थना करूँगा कि जन्म जन्मान्तर तक ये सौभाग्य मुझे प्रदान करता रहे ! आपको पढ़ना और आपके भावाभास,भावप्रबलत्व,भावमधुरत्व की रसानुभूति करना काव्य के चरमप्राप्य विगलितवेद्यान्तरास्वाद तक पहुंचा दे इसमें रन्च मात्र भी सन्देह नहीं। एक नहीं सौ -सौ भाग्यों के उदय का सूचक होगा कि आपके कव्यास्वादन से सुधी पाठकों को काव्यानन्द की प्राप्ति हो ;ऐसी मेरी आकांक्षा भी है और शुभकामना भी। पुनः -पुनः आपके सानिध्य हेतु ईश्वर का और इस 'मुखपुस्तक' दुनिया का आभारी हूँ। सादर प्रणाम ! नमन !!
Monday, January 20, 2014
अनेक भाषाओँ के ज्ञाता तथा साहित्य सृजन ,लेखन की महनीय विभूति के साथ ही देशप्रेम के ज़ज्बे से ओतप्रोत हमारे एक वीर सेनानायक (पुलिस उपाधीक्षक ) परम श्रद्धेय हुकम सिंह 'जमीर' जिनके कृतित्व में जिज्ञासुओं ,विद्वानों ,पाठकों के ह्रदय को आप्यायित करने की अतीव क्षमता विद्यमान है ;आपने किसी विषय और परिस्थिति को दृष्टिबाह्य न करते हुए लगभग हर पहलुओं पर अपनी लेखनी चलाई है ,क्या राजनीति ,क्या प्रेम ,क्या रिश्ते ,क्या आध्यात्म ,क्या देशप्रेम ,क्या मनुष्यता ; किंबहुना कौन सा वह क्षेत्र है जो आपकी लेखनी में समाहित नहीं हो गया है। किसी भी देश ,जाति का वर्ग आपसे अनुप्राणित हुए बिना नहीं रह सकता ,आपकी रचनाओं /विचारों को पढ़कर आध्यात्मिकता ,देशप्रेम व मनुष्यता की उच्च भावना हिलोरें मारने लगती है। हमारे देश में जीवन के उपकरणों का सौलभ्य होने के कारण हमारा समाज जीवन संग्राम के विकट संघर्ष से अपने को पृथक रखकर आनन्द की अनुभूति को ,शाश्वत आनन्द की अनुभूति को अपना लक्ष्य मानता है ,इसीलिये काव्य सदा जीवन की विषम परिस्थितियों के भीतर से आनन्द की खोज में संलग्न रहा है। पाठकों के ह्रदय में आनन्द ,रसानुभूति का उन्मेष ही काव्य का अन्तिम लक्ष्य है और आदरणीय हुकम सा हर अवसर पर इस लक्ष्य को प्राप्त करते दिखाई देते हैं। आदरणीय मनु भारद्वाज सा को भी हार्दिक धन्यवाद इस अमूल्य निधि 'आवाज -ए -जमीर' के प्रकाशनार्थ ! मैं बहुत ही अल्पज्ञ हूँ इस सागर समान गहराई वाले भण्डार से जो भी ग्रहण कर सका , मेरा सौभाग्य है। पुनः 'आवाज़ -ए-ज़मीर' के लिए अपनी कोटिशः शुभकामनायें प्रेषित करते हुए हुकम सा को सादर नमन करता हूँ और परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना भी करता हूँ कि आप दीर्घायु होकर हम सबको अपनी साहित्यसुधा से ऐसे ही सिञ्चित करते रहें ।
Friday, January 17, 2014
आज राहुल और केजरीवाल का बयान काफी मिलता जुलता समझ में आया जहाँ एक ओर केजरीवाल खुद सरकार होकर धरने की बात कर रहें हैं वहीं दूसरी ओर राहुल अपनी ही सरकार से सिलिण्डर माँगते दीखे ,राहुल की ख्वाहिश तो पूरी हो गयी क्यूंकि शहजादे हैं लेकिन केजरीवाल का क्या होगा ये अनुत्तरित ही रह गया। निष्कर्ष ये कि जनता के सामने कुछ और यथार्थ में कुछ और आखिर कब तक चलेगी ये नौटंकी ?
Wednesday, January 15, 2014
अशोक चक्रधर बनाम कुमार विश्वास।
मालूम हो कि दिल्ली में सत्ता हस्तान्तरण होते ही अशोक चक्रधर ने हिन्दी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था उन्होंने त्यागपत्र तकरीबन दो हफ्ते पूर्व दिया था लेकिन अभी तक उनका त्यागपत्र स्वीकृत नहीं किया गया था और न ही इस बाबत उन्हें कोई सूचना ही मुहैया करायी गयी उन्हें अतीव आश्चर्य उस समय हुआ जब उन्हें हिन्दी साहित्य आकदमी के वार्षिक समारोह का आमन्त्रण पत्र मिला और उसमे उपाध्यक्ष की जगह पर डॉ कुमार विश्वास का नाम था। चक्रधर साहब इस बात से हैरान हैं कि उनके त्यागपत्र की स्वीकृति या अस्वीकृति के बारे में उन्हें क्यूँ नहीं सूचित किया गया जबकि लगभग पाँच दशकों से इस संस्था से जुड़े अशोक चक्रधर ने मुख्यमन्त्री श्री अरविन्द केजरीवाल को इस विषय में दो बार चिट्ठी भी लिखी थी ,
अमेठी में राहुल गांधी को चुनौती देने में जुटे कुमार विश्वास से पूछा गया तो उन्होंने कहा, "अशोक जी सरकार के बहुत करीब रहे हैं. कपिल सिब्बल की कविताओं का अनुवाद किया है, पर सड़क पर उतर कर कभी संघर्ष नहीं किया. वह लाल बत्ती की गाड़ी में घूमते हैं. सारी सुविधाएं मिली हैं और अगर उन्हें बहुत तकलीफ हो रही है तो मैं अरविंद से बात करके वो वापस दिला दूंगा."
चक्रधर पर कुमार विश्वास ने कहा, "मैं उनसे महंगा कवि हूं.' अकादमी के काम-काज पर इस बवाल का क्या असर होगा, यह देखना अभी बाकी है. पर जो कुछ भी हो रहा है उसका कविता या साहित्य से कितना लेना-देना है, आप भी जानते हैं"
अकादमी का वार्षिक समारोह 16 जनवरी को लाल किले पर होना है..............
उपर्युक्त विषय पर आपकी प्रतिक्रिया का आकांक्षी।
डॉ.धीरेन्द्र नाथ मिश्र 'धीरज '
'स्वतन्त्र पत्रकार'
Sunday, January 12, 2014
डॉ. हर्षवर्धन की वजह से बना भारत पोलियोमुक्त देश ,
न रहने पर इतना बड़ा काम ,
जो हैं वो सिर्फ नाम के हुक्काम ,
दिन में मफलर के साथ जुकाम ,
रात में कांग्रेस के साथ लड़ाते जाम ,
छोटे लोगों को मिलता सस्पेंसन ,
बड़े गुर्गों को ससम्मान पेंशन ,
अँधेरे घरों में अभी भी अँधेरा ,
अपने लिए ज़ेड श्रेणी का घेरा ,
मुँह बाए बोलती अब ये सादगी है ,
कहता है नत्थूआ वो भी आम आदमी है।
न रहने पर इतना बड़ा काम ,
जो हैं वो सिर्फ नाम के हुक्काम ,
दिन में मफलर के साथ जुकाम ,
रात में कांग्रेस के साथ लड़ाते जाम ,
छोटे लोगों को मिलता सस्पेंसन ,
बड़े गुर्गों को ससम्मान पेंशन ,
अँधेरे घरों में अभी भी अँधेरा ,
अपने लिए ज़ेड श्रेणी का घेरा ,
मुँह बाए बोलती अब ये सादगी है ,
कहता है नत्थूआ वो भी आम आदमी है।
Friday, January 3, 2014
त्यागमूर्ति ,अनन्त श्री विभूषित ,स्वनामधन्य ,दिल्ली नरेश श्री केजरीवाल उवाच -
मेरे लिए घर देखा जाय। ( ३ जनवरी को हाँ मैं सरकारी आवास लूँगा )
कई दिन तक मौन व्रत।
नहीं -नहीं मैं घर नहीं लूँगा। (४ जनवरी नहीं मैं नहीं लूँगा )
मुझे मना किया गया।
मुझे कई लोगों ने फोन किया।
मुझे छोटा घर चाहिए।
निष्कर्ष -मेरा मन था ,लेकिन ये आम आदमी का तमगा पता नही कैसे दिन दिखायेगा खैर कोई बात नहीं छोटा घर चलेगा।
कमाल करते हो केजरी जी आप भी सीधे -सीधे कह डालो न दिल की बात।
हम भी तो आम आदमी ही हैं समझ सकते हैं आपके सारे जज्बात।।
मेरे लिए घर देखा जाय। ( ३ जनवरी को हाँ मैं सरकारी आवास लूँगा )
कई दिन तक मौन व्रत।
नहीं -नहीं मैं घर नहीं लूँगा। (४ जनवरी नहीं मैं नहीं लूँगा )
मुझे मना किया गया।
मुझे कई लोगों ने फोन किया।
मुझे छोटा घर चाहिए।
निष्कर्ष -मेरा मन था ,लेकिन ये आम आदमी का तमगा पता नही कैसे दिन दिखायेगा खैर कोई बात नहीं छोटा घर चलेगा।
कमाल करते हो केजरी जी आप भी सीधे -सीधे कह डालो न दिल की बात।
हम भी तो आम आदमी ही हैं समझ सकते हैं आपके सारे जज्बात।।
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