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Saturday, May 12, 2012

क्रांतिदूत...........

मै सोये हृदयों में जागृति कि ज्योति जगाने वाला हूँ;
मैं क्रांतिदूत हूँ मै पानी में आग लगाने वाला हूँ;
मैं पीड़ित कि आवाज! और पीड़क का प्रबल विरोधी हूँ;
मैं महायुद्ध के श्रीगणेश का शंख बजाने वाला हूँ;
 
मैं नहीं सुंदरी के घन केशों कि छाया का तलबगार ;
मैं नहीं कामिनी के नख-सिख सौंदर्य गान का गीतकार;
मैं महाकाल  के परिवर्तन संदेशों का हरकारा हूँ;
मैं जीर्ण व्यवस्था का भंजक ; मैं हूँ समता का सृजनहार ;
मैं विकृत विश्व को उसका असली रूप दिखाने वाला हूँ;
 मैं महायुद्ध............................................वाला हूँ;
 
जिनकी जिजीविषा क्षीण जिन्हें निज भुजबल पर विश्वास नहीं;
नव युग का सृजन न कर सकते रच सकते नव इतिहास नही;
जो संघर्षों से डरते हैं, अरि(शत्रु)से समझौता करते हैं;
जिनकी आँखों में निजोत्सर्ग का गरिमामय उल्लास नही;
उन नेताओं को नायकत्व का बोध कराने वाला हूँ;
मैं महायुद्ध........................................वाला हूँ;
 
जो भ्रान्ति पंक में फँस जाते वे कीर्ति सम्पदा खोते हैं;
जो चाह शांति की रखते हैं,वे बीज क्रांति के बोते हैं;
इतिहास सीख दे रहा हमें हर परिवर्तन की गाथा में;
बंदूकें होती कलम और अक्षर बारूदी होते हैं;
मैं रण गीता से क्षुब्ध पार्थ का क्लैब्य मिटाने वाला हूँ;
 मैं महायुद्ध.............................................वाला हूँ;
 
स्वप्नों  के उड़न खटोले पर तुम होना नही सवार सखे!
इस पार छोड़ जीवन रण को जाना कैसा उस पार सखे!
छल, छद्म ,कपट, विश्वासघात युग की नंगी सच्चाई है;
क्या आँखें बंद कर लेने से रुकता जग का व्यापार सखे!
मैं मोह-गुडाका लीन विश्व की  नींद भागने वाला हूँ;
मैं महायुद्ध के श्री गणेश का शंख बजाने वाला हूँ..........

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