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Friday, October 30, 2015

हमारे नौनिहालों का पाठ्यक्रम और उससे सम्बंधित कुछ वाक्य विमर्श की प्रतीक्षा में है।

आर्य भारत में बाहर से आये थे।
प्राचीन वैदिक हिन्दू गोमांस खाते थे।
शिवा जी पहाड़ी चूहा था।
गुरु तेग बहादुर लुटेरे थे।
वेद गोपड़ और गड़रियों के गीत हैं।
भारत एक उपमहाद्वीप है।

ऐसे अनेकानेक तथ्य हैं जिनमे -भारत की खोज ,भगत सिंह का शहीदी दर्जा ,विभिन्न आक्रमणकारियों का महिमामण्डन और हमारे वीर योद्धाओं का अपमान आदि विषय हैं। क्या इसमें संशोधन की आवश्यकता नहीं है ?
ये बारी आपकी है ,ये पारी आपकी है। जो विपक्ष में रहकर बोलते थे वहीँ आज भी बोलते रहेंगे तो कुछ हाथ नही आएगा। परिवर्तन और संशोधन मांग रहा है झूठा और आरोपित इतिहास ,इसे बदलिये। जो सच है ,जो अदृश्य है उसे सामने लाइए।  क्यूंकि अगर अब भी चूक गए तो फिर कभी नहीं बदल सकते आप इन झूठी बातों को। 

Wednesday, October 28, 2015

आदरणीय महाकवि भतृहरि कृत काव्य सन्ग्रह -अनुप्रेरणादायी 
आदरणीय भर्तृहरि कृत - जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः।
नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम्॥१॥
प्रस्तावे हेतुयुक्तानि यः पठत्यविशङ्कित
ः।
स कविस्तानि काव्यानि काव्ये तस्य परिश्रमः॥२॥
सुकवेः शब्दसौभाग्यं सुकविर्वेत्ति नापरः।
कलादवन्न जानाति परः कङ्कणचित्रताम्॥३॥
सन्ति श्वान इवासंख्या जातिभाजो गृहे गृहे।
उत्पादका न बहवः कवयः शरभा इव॥४॥
कवयः परितुष्यन्ति नेतरे कविसूक्तिभिः।
न ह्यकूपारवत्कूपा वर्धन्ते विधुकान्तिभिः॥५॥



Thursday, October 22, 2015

रावण के वंशज बहुमत में ,ओ कवि ! चिल्लाकर क्या होगा ?
अन्याय संगठित हो बैठा पुतले सुलगाकर क्या होगा ?
जब शासक वल्कल पहनेगा ,वनवासी सामन पायेगा ,
कवि कहता है उस दिन रावण ,बिन मारे ही मर जायेगा।

तुम मुझे यूँ जला न पाओगे ,
मेरी दुनिया जली ,जला मैं भी 
फिर भी मुझको जला न पाओगे ………
सबसे पहले अपने अंदर के रावण को जलाइये फिर पुतला।
की टीम की तरफ से आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें। 
टीआरपी की रेस भी गजब की है भाई ,हमारे लेखक ,बुद्धिजीवी ,पत्रकार ,कलमकार सभी को फेम चाहिए। कोई भक्तिभाव में है तो कोई विरक्ति भाव में ,जो भक्तिभाव में है उनका तो फिर भी सही है परन्तु जो विरक्ति वाले हैं वो अपना स्टैण्ड एक बार क्लियर कर लें। कहीं केवल प्रसिद्धि वाला विरोध तो नहीं है ये ,अगर केवल प्रसिद्धि वाला है तो समझिए राई का पहाड़ है. ये भरभरा कर गिरेगा  और जब गिरेगा तो सब बेकार  हो जायेगा अतः या तो सशक्त विरोधी बनें या फिर समर्पित समर्थक। बीच वाला मामला टिकता नही गुरु । बाकी आपको जो ठीक लगे।