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Wednesday, July 31, 2013

जबसे नेता के धंधे धरम धन बने, देश भारत का नक्शा बदल ही गया .
हर शहर गाँव में दंगे होने लगे, सड़कों  का सारा पैसा कमीशन गया ,
बिजली के तार सारे कबाड़ी  लिए, गाँव में सिर्फ खम्भे दिखाई पड़े ,
रोजगारों की क्या योजना रह गयी, हर जगह ही आरक्षण बढाया गया ,

कहता तहसील बोली कचहरी खुली ,न्याय को चाहिए इनको झोली भरी ,
नौकरी योग्यता की नहीं रह गयी वो कई लाखों में बिकती बतायी गयी ,
  जबसे नेता के धंधे धरम धन बने ,,,,

दर्द ए  दौलत बढ़ी शान ओ शौकत बढ़ी ,दर्द की मारी जनता वही है खड़ी ,
बलात्कारों की एक कुप्रथा चल पड़ी पड़ी ,जिन्दा इंसाँ को मुर्दा बनाया गया ,
 जबसे नेता के धंधे ….

थी गरीबी तो नासूर पहले बनी ,मिलती थी रोटियां आंसुओं से सनी ,
एक मानक बना कि ये धनी  लोग हैं ,गरीबों का राशन उड़ाया  गया ,
 जबसे नेता के धंधे ………………

देखिये कितनी बढती ये अन्धेर  है , देश को बिकने में बोलो क्या देर है ??
बिक रहा शहँशा (pm/cm/ministers/officers)बिक रही इज्जतें ,अब विदेशी स्वदेशी बनाया गया ,
जबसे नेता के धंधे धरम धन बने देश भारत का नक्शा  बदल ही गया …।

डॉ.  डी. एन.  मिश्रा   'धीरज '




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