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Tuesday, November 24, 2015

मेरा भी एक ख़ुदा है ,
जो नमकहरामी नही सिखाता ,
नही सिखाता है जिहाद ,
देश में बंटना और बाँटना भी नही सिखाता ,
देश में रहकर इसका मखौल बनाना  ,
हिन्दू ,मुस्लिम,सिख, ईसाई का अन्तर बताना ,
चर्चों ,मस्जिदों,मन्दिरों व गुरुद्वारों में भेद भी नही सिखाता ,
सिखाता है अमन चैन से रहना
अपनी रोटी को बांटकर खाना ,
किसी के दुःख में खुद दुखी हो जाना ,
भले ही उसकी खुशियों में शरीकी का समय न मिले।

"करे यदि ईश फिर भी जन्म मेरा ,बना सेवक रहूँ मैं हिन्द तेरा ,
चाहे मरुभूमि या कि उर्वरा हो ,स्वजननी किन्तु भारत की धरा हो। "

"जिसको न निज गौरव तथा निज देश पर अभिमान है ,
वह नर नही ,नरपशु निरा है ,और मृतक समान है। "

Saturday, November 21, 2015

ये सैफई के नाम पर सन्नाटा क्यों है भाई ?
देश को तुमने सांचों में बांटा क्यों है भाई ?
किसी के शौचालय की खबर बनी प्राइम टाइम ,
किसी को जरुरी ख़बरों से छांटा क्यों है भाई ?
कमाल का सेक्युलर देश और कमाल की है जनता,
पैसे के बिस्तर फिर भी बजट में घाटा क्यों है भाई ?




हमारी इच्छाएं व्यक्त हों पेड़ों की तरह ,
बरसात में जैसे वल्कल हो जाते हैं भारी और मोटे ,
जैसे पतझड़ में झरने लगते हैं पत्ते ,
जैसे फूल रंग जाते हैं बसन्त में ,
परिस्थितियां गुजरे हममे से ऋतुओं की तरह ,
हमें पौधे से पेड़ बनाते हुए ,
हरा हो -होकर लौटे हमारा पीलापन ,
जड़ें हमारी महसूस करें अपनी एक पत्ती का गिरना ,
एक -एक फूल का हंसना महसूस हो जाये।
न तरस के जियें हम ,न मरें अघा -अघा कर ,
रूढ़ियों से न हों स्थापित ,
विस्थापित न हों अनबरसे मेघों से ,
'बँटे समाज' की उंगलियों में थमा सकें एक लिपि ,
और लबार होने से बचा ले जाएं अपना यह अनूठा 'समय'.


Monday, November 2, 2015

सम्मान वापसी के विरोध में शुरू हुई मुहिम 'किताब वापसी अभियान' जादुई तरीके से बढ़ रही है जहाँ अभी तक इससे लगभग ४००० लोग जुड़ चुके हैं वहीँ मुख्यधारा मीडिया में भी इसकी खासी चर्चा है।  अभी तक ,लाइव हिन्दुस्तान ,राजस्थान पत्रिका ,हरिभूमि ,दैनिक ट्रिब्यून ,आईबीएन 7 और अनेकानेक समाचार पत्रों ,वेब पोर्टलों ने इसको प्रमुखता से कवर किया है।


Sunday, November 1, 2015

इस बार नया मीडिया मंच  शिवा जी महाराज की नगरी में दस्तक दे रहा है ,वर्धा विश्वविद्यालय एवं नया मीडिया मंच  के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में देश भर से मीडिया/सोशलमीडियाविदों के पहुँचने की उम्मीद है।  इस राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयोजन दिनांक १९ नवम्बर २०१५ ,गुरुवार  को होगा। स्थान रहेगा -हबीब तनवीर सभागार ,वर्धा (महाराष्ट्र ) . आप इस कार्यक्रम में सादर आमन्त्रित हैं। 

Friday, October 30, 2015

हमारे नौनिहालों का पाठ्यक्रम और उससे सम्बंधित कुछ वाक्य विमर्श की प्रतीक्षा में है।

आर्य भारत में बाहर से आये थे।
प्राचीन वैदिक हिन्दू गोमांस खाते थे।
शिवा जी पहाड़ी चूहा था।
गुरु तेग बहादुर लुटेरे थे।
वेद गोपड़ और गड़रियों के गीत हैं।
भारत एक उपमहाद्वीप है।

ऐसे अनेकानेक तथ्य हैं जिनमे -भारत की खोज ,भगत सिंह का शहीदी दर्जा ,विभिन्न आक्रमणकारियों का महिमामण्डन और हमारे वीर योद्धाओं का अपमान आदि विषय हैं। क्या इसमें संशोधन की आवश्यकता नहीं है ?
ये बारी आपकी है ,ये पारी आपकी है। जो विपक्ष में रहकर बोलते थे वहीँ आज भी बोलते रहेंगे तो कुछ हाथ नही आएगा। परिवर्तन और संशोधन मांग रहा है झूठा और आरोपित इतिहास ,इसे बदलिये। जो सच है ,जो अदृश्य है उसे सामने लाइए।  क्यूंकि अगर अब भी चूक गए तो फिर कभी नहीं बदल सकते आप इन झूठी बातों को। 

Wednesday, October 28, 2015

आदरणीय महाकवि भतृहरि कृत काव्य सन्ग्रह -अनुप्रेरणादायी 
आदरणीय भर्तृहरि कृत - जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः।
नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम्॥१॥
प्रस्तावे हेतुयुक्तानि यः पठत्यविशङ्कित
ः।
स कविस्तानि काव्यानि काव्ये तस्य परिश्रमः॥२॥
सुकवेः शब्दसौभाग्यं सुकविर्वेत्ति नापरः।
कलादवन्न जानाति परः कङ्कणचित्रताम्॥३॥
सन्ति श्वान इवासंख्या जातिभाजो गृहे गृहे।
उत्पादका न बहवः कवयः शरभा इव॥४॥
कवयः परितुष्यन्ति नेतरे कविसूक्तिभिः।
न ह्यकूपारवत्कूपा वर्धन्ते विधुकान्तिभिः॥५॥